Saturday 24 November 2018

Congress..

दुआएं है चौवालिस अबकी बारी चार हो जाये,
चुनावों में मेरे भारत मे फिर त्यौहार हो जाये,
मिली पहचान मजबूती हमें जो विश्व मे फिर से,
दिलाने वाली वो सम्मान फिर सरकार हो जाये,

कई सालों घोटालों से नहीं जो कर सके बेहतर,
की धूमिल देश की गरिमा, गिराया विश्व मे स्तर,
जो सपना देखते है जीत का अपने अनाडी की,
उन्हीं से देश मुक्ति का स्वपन साकार हो जाये,

Thursday 22 November 2018

Halka Fulka2

रंगा दो लाल हर दीवार, सरकारी मकानों की,
शर्म छुप जाये शायद जो मिली, किश्तों मे पीकों की।।

वो दो दोनों की मजबूरी,
वो दोनो को जरूरी हैं।
मियाँ बीवी के रिश्ते की,
यही पहचान पूरी है।।

वो इसकदर छाये है महफिल मे आजकल
घडियों को देखने की भी फुरसत नहीं मिलती

पुरानी याद के बक्से नहीं खोला करो मेरे
दोबारा बंद करने मे बहुत तकलीफ होती हैं।।

आग की गर्मी सर्दी मे भी,
लगातार हम सेंक न पाये,
वो जालिम इतना सुंदर था,
एकटक उसको देख न पाये। (FB)

न आंखे थी तेरी चुंबक,
न मेरा दिल था लोहे का,
न जाने फिर क्यों चिपका हैं,
बेचारा आजतक उनसे ।।((FB)

हर तरह के रोग का, उपचार होना चाहिए,
दर्द से हर मुक्त, ये संसार होना चाहिए,
इश्क मे गालिब कोई, फिर से निक्कमा न बने,
प्यार के टीके का, अविष्कार होना चाहिए ||(FB)

Friday 16 November 2018

ये दुनियाँ पागल खाना है...

दौड़ रहें हैं सुबह शाम पर,
कहीं नहीं आना जाना है,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।

अपने अपने नाम के पागल,
कुछ अल्लाह के राम के पागल,
थोड़े पागल काम काज में,
ज्यादातर हैं दाम के पागल,
नाम काम का दाम का चक्कर,
काट काटकर थक जाना हैं,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।

कोई दिल को हार के पागल,
कोई दिल को मार के पागल,
कोई उसकी नफरत मे खुश,
कोई उसके प्यार मे पागल,
प्यार का नफरत हार जीत का,
सबका अपना एक गाना हैं।
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।

कोई सत्ता लोभ मे पागल,
कोई सत्ता क्षोभ मे पागल,
हर दल नेता और सरकारें,
राजनीति के रोग मे पागल,
कुर्सी चाह मे जीना इनका,
कुर्सी राह मे मर जाना हैं,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।

काम क्रोध मे लोभ मे पागल,
मद मे माया मोह मे पागल,
सबकुछ कोई खोकर भी खुश,
कोई सबकुछ जीत के पागल,
जिस मुठ्ठी मे बांध रहे सब,
उनको खाली रह जाना हैं,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।

मेरी शायरी में मिसालों की बातें...

ख्यालों से गहरी ख्यालों की बातें,
सवालों से भारी सवालों की बातें,
तुम्ही से शुरू हैं तुम्ही पे खत्म हैं,
मेरी शायरी में मिसालों की बातें।।

हूँ मीलों की सालों की दूरी पे जिनसें,
मै हररोज मिलता हूँ सपनों मे उनसें,
वो हर याद की आग फिर से जलाके,
वो कहते हैं फिरसे जलालो ये रातें।।

न कुछ बाअद तेरे न कुछ तेरे पहले,
मेरा दिल उन्हीं चार गलियों मे टहले,
हमें इन से बाहर का रस्ता दिखाओ,
कोई दिल से मेरे निकालों ये बातें।।