Friday 29 November 2019

इन आंखों के सब कायल हैं,
इन आंखों से सब घायल हैं,
और भी कर देता है पागल,
इन आंखों पे जब काजल है।।

--कृपाल😎
खून की इसके सजा, होती नहीं है, इसलिए,
अपने ही होते हैं खूनी, आपके विश्वास के ।
प्यार को अब दोस्ती से दूर रखते हैं सभी,
दोनों ही छलते कभी हैं, आपके विश्वास के ।

--कृपाल

Friday 15 November 2019

अप्सरा

रूप की उसके कहां से, लेकर उपमा आऊं मैं,
उससा कुछ देखा नहीं तो, क्या उसे बतलाऊं मैं,
वो है शायद इस जमीं पर स्वर्ग की एक अप्सरा, स्वर्गवासी उसकी खातिर शौक से हो जाऊं मैं।।

Sunday 8 September 2019

कुछ चोर मोर भोर शोर जोर लिख रहे हैं,
तुकबंदीयां मिलाकर हर ओर लिख रहे हैं।

कुछ शब्द आगे पीछे कुछ बात उल्टी-सीधी
हल्की सी बात को भी घनघोर लिख रहे हैं,
बस चोर मोर भोर शोर जोर लिख रहे हैं,
तुकबंदीयां मिलाकर हर ओर लिख रहे हैं।

शायर कवि सा कुछ अपने नाम में लगाकर,
गालिब या नाम दिनकर कमजोर लिख रहे हैं,
बस चोर मोर भोर शोर जोर लिख रहे हैं,
तुकबंदीयां मिलाकर हर ओर लिख रहे हैं,


हो गीत ग़ज़ल कविता या शायरी हो कोई,
लय भाव के अलावा कुछ और लिख रहे हैं ।।
बस चोर मोर भोर शोर जोर लिख रहे हैं,
तुकबंदीयां मिलाकर हर ओर लिख रहे हैं,

--कृपाल😎

Sunday 25 August 2019

बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस,
हमें चबाकर चट कर जाये,
जैसे बकरी खायें घास,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।

चाहे जितना करौ प्रयास,
नहीं कहेंगे ये शाबाश,
लाख कलेजा चिरौ तुम,
इनके लिये नहीं कुछ खास,
काम करावे रातौ दिन,
देते नहीं कभी अवकाश,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।

कभी है मिर्ची कभी मिठास,
मूड का नहीं करौ विसबास,
मुँह खोला तो होगा नाश,
चुपै सुनौ सभी बकवास,
भूल से कहीं किया जो लॉस,
इनके दिल मे रहेगी फांस,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।

दोनों में ये बात है खास,
टारगेट है इनकी सास,
गुस्सा भूख है इनके मन की,
और झूठी तारीफें प्यास,
प्रान बचाना चाहो काश,
बांध गठरिया चलौ कैलाश,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।।

--कृपाल

Saturday 10 August 2019

हर बहादुर बेवकूफी करके यूं हारा गया,
खेल के धोखे में आके ज़ंग में मारा गया,
खा गया शादी का लड्डू जो नशे में जोश में,
उम्र फिर सारी बेचारा दस्त से मारा गया ।।

--कृपाल😎

Monday 5 August 2019

इन्हें तुम प्यार की बैसाखियों से, दूर कुछ रखो,
जो बचपन में नहीं गिरतें, उन्हें उठना नहीं आता,
इन्हें कुछ खेलने दो खेल के कुछ, हारने भी दो,
जो बचपन जीतता है सब, उसे लड़ना नहीं आता ।।


हर परत दिल की खोलना क्यों है,
लोग तो बस कहेंगे, और कहो
कुछ हंसेंगे और कुछ सुनेंगे पर,
कोई समझेगा नहीं, और कहो

Thursday 1 August 2019

गीत के बंध दो, एक मैं एक वो,
प्रीत के छंद दो, एक मैं एक वो,
रंग दो जैसे एक, दूसरे मे घुले,
उसमें मैं एक हूँ, मुझमें है एक वो,

जीत मे हार मे, मेरी शामिल है वो,
मेरे हर जोड़ मे, मेरा हासिल है वो,
खुदकुशी खुद खुशी से कराई मुझे,
प्यार से जान ली, ऐसी कातिल है वो,

रात का ख्वाब वो, दिन की मुस्कान वो,
उसकी ख्वाहिश हूँ मै, मेरा अरमान वो,
साथ दो हमसफर अजनबी से कभी,
उसका चूना हूँ मैं, मेरा है पान वो

उसकी आफत हूँ मै, मेरी आफत है वो,
मुश्किलों मे मगर खूब राहत है वो,
लड़ते लड़ते भी दोनो को मालूम है,
उसकी आदत हूॅ मै, मेरी आदत है वो।
--कृपाल😎

मैं हूँ
तुम हो
हम हैं
सब है।।
ना तुम
ना मैं
फिर हम
कब हैं।।
दो मन
दो तन
एक जां
जब है।।
एक मै
एक तुम,
ग्यारह
तब हैं।।
ये है,
वो है,
सबकुछ
छल है।।
कल हो,
ना हो,
जीवन,
पल है।।

Monday 29 April 2019

कभी घड़ी पर निगाह करती,
कभी फोन वो दो चार करती,
है बेकरारी की इंतहा जब,
वो मेड का इंतजार करती।

है बिखरा घर का हर एक कोना,
है जूठे चम्मच थाली भगोना,
झलक रहा है चेहरे पे उसके,
वो चाय को किस कदर तरसती,
है बेकरारी की इंतहा जब,
वो मेड का इंतजार करती।

पति और बच्चों पे चिल्ला रही है,
छोटी सी बातों पे झल्ला रही है,
डरे हुए है खामोश ऐसे,
कर्फ्यू मे जनता जैसे हो डरती,
है बेकरारी की इंतहा जब,
वो मेड का इंतजार करती।

बदल गया सब जो घर वो आई,
मुस्कान संग अपने बीवी की लाई,
नहीं मेड है वो तो कोई परी है,
बीवी के जो सारे कष्टों को हरती,
है बेकरारी की इंतहा जब,
वो मेड का इंतजार करती।
उसे मैं आज भी मुंह बांध के आवाज देता हूंँ,
सुनाई भी नहीं देता उसे, मैं कह भी लेता हूँ।

हैं कुछ तकलीफ जिनकी जिंदगी को भी जरूरत है,
वो दरियाँ डूबकर जिनमें मैं जिंदा रह भी लेता हूंँ।

हर एक दर्द का मरहम नहीं मिलता बाजारों में,
कभी खुद चोट देकर खुद मजे से सह भी भी लेता हूंँ।

वह मेरा टाइटेनिक था नहीं पहुंचा किनारों पर,
मगर नींदों में में थोड़ा साथ उसके बह भी लेता हूंँ।

--कृपाल
हिन्दू

हम प्रेम शान्ति के संवाहक, हम शौर्य शक्ति के सिंधु है,
स्वधर्म हमारा स्वाभिमान, है गर्व हमें हम हिन्दू है।

हम मर्यादा पुरूषोत्तम भी, हम लीलाधर गोपाल भी हैं,
वामन अवतारी सूक्ष्म भी हम, नरसिंह जैसे विकराल भी हैं।
हम आर्यभट्ट चाणक्य चरक, नानक गौतम हम महावीर
हम तुलसी सूर कबीर भी है, हम हैं दधीचि से दानवीर,
हम पुत्र श्रवण आज्ञाकारी, हम भरत लक्ष्मण बंधु हैं
स्वधर्म हमारा स्वाभिमान, है गर्व हमें हम हिन्दू है।

आतिथ्य हमारी परम्परा, अतिथि हम देव समझते है
हम प्राण गंवाकर भी अपने वचनों की रक्षा करते है,
आचार्य हमारे वेद ग्रंथ गीता मानस हम पढ़ते हैं
ज्योतिष खगोल साहित्य गणित हर क्षेत्र में कीर्ति गढ़ते हैं
हर ज्ञान कला विज्ञान विधा के मूल मे स्थित बिंदु हैं
स्वधर्म हमारा स्वाभिमान, है गर्व हमें हम हिन्दू है।

भू-नभ जल वायु अग्नि की हम, पूजा संरक्षण करते है,
ये देह हमारी पंचतत्व, इनको ही अर्पण करते है
स्थान उचित सम्मान उचित, समभाव धर्म सब रखते है
निजधर्म की रक्षा ध्येय मगर, अतिक्रमण कभी न करते है
हम दया क्षमा के परिचायक, संवेदनशील सहिष्णु है
स्वधर्म हमारा स्वाभिमान, है गर्व हमें हम हिन्दू है।

Thursday 18 April 2019

वो मेड का इंतजार करती..

कभी घड़ी पर निगाह करती,
कभी फोन वो दो चार करती,
है बेकरारी की इंतहा जब,
वो मेड का इंतजार करती।

है बिखरा घर का हर एक कोना,
है जूठे चम्मच थाली भगोना,
झलक रहा है चेहरे पे उसके,
वो चाय को किस कदर तरसती,
है बेकरारी की इंतहा जब,
वो मेड का इंतजार करती।

पति और बच्चों पे चिल्ला रही है,
छोटी सी बातों पे झल्ला रही है,
डरे हुए है खामोश ऐसे,
कर्फ्यू मे जनता जैसे हो डरती,
है बेकरारी की इंतहा जब,
वो मेड का इंतजार करती।

बदल गया सब जो घर वो आई,
मुस्कान संग अपने बीवी की लाई,
नहीं मेड है वो तो कोई परी है,
बीवी के जो सारे कष्टों को हरती,
है बेकरारी की इंतहा जब,
वो मेड का इंतजार करती।

Thursday 4 April 2019

सफर

छोड़कर घर सफर में जो निकले सभी,
जीते हैं पर नहीं जिंदगी को जिया,
खुद को किश्तों में हम यूँ दफन कर रहे,
खा रहा हो अंधेरा ज्यों जलता दिया ।

रोज बढ़ते हैं हम खुद को खोते हुए,
ख्वाब आते नहीं हम को सोते हुए,
रोज कोयले के जैसे जलाते हैं हम,
जिंदगी ने जो चंदन था हमको दिया ।

नाम दुनियाँ को अपना बताते रहे,
अपनी दुनियाँ मगर भूल जाते रहे,
जिनके होने से तस्वीर में जान थी,
उनका तस्वीर में साथ क्यों ना दिया ।

जीतने की हवस मैं रहे हारते,
दौड़ने को सफलता रहे मानते,
भेड़ की भीड़ मे भेड़ ही रह गए,
खुद नहीं खुद को बनने का मौका दिया।


--कृपाल😎

Saturday 23 March 2019

 कांग्रेस का हर घोटाला..

ऐ मेरे वतन के लोगों, यादों से हटा लो जाला,
क्या तुम को याद दिलाये, कांग्रेस का हर घोटाला,

जीपों में लिया कमीशन, बोफोर्स दलाली खाई
कोयले की कालिख खाकर, टू जी की वाट लगाई,
इटली वाले मामा संग, चाँपर का गडबडझाला,
क्या तुम को याद दिलाये, कांग्रेस का हर घोटाला,

नेहरू अखबार चलाएं, राहुल उसको कब्जाऐ,
लोन बांट के फर्जी, माल्या नीरव भगवाए
सेना के परिवारों का आदर्श स्कैम कर डाला,
क्या तुम को याद दिलाये, कांग्रेस का हर घोटाला,

सीडब्ल्यूजी के अगाड़ी, शीला जी और कलमाड़ी,
मधु कोडा और तेलगी, थे इनके तेज खिलाड़ी,
जीजाजी की चोरी पे, क्यों चुप हैं सासु साला,
क्या तुम को याद दिलाये, कांग्रेस का हर घोटाला,

Tuesday 1 January 2019

बोझ लाद के काम पे जाता,
चुस्त मुझे हरदिन दिखता है,
आफिस के रस्ते मे मुझको,
एक गधा हरदिन दिखता है,

न जाने क्यों मुझे देखकर,
एक आंख झपका देता है,
लगता जैसे मुझे देखकर,
मन ही मन मुसका देता है
आंखों ही आंखों मे मुझसे,
शुभदिन वो हरदिन कहता है।।
आफिस के रस्ते मे मुझको,
एक गधा हरदिन दिखता है..

लाठी खाता बोझ उठाता,
हरदम बस हांका जाता है,
ज्यादा लाठी ज्यादा बोझा,
चारा लेकिन कम पाता है,
मुझसी ही है हालत उसकी,
मुझसा ही हरदिन सहता हैं।।
आफिस के रस्ते मे मुझको,
एक गधा हरदिन दिखता है..