बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस,
हमें चबाकर चट कर जाये,
जैसे बकरी खायें घास,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।
चाहे जितना करौ प्रयास,
नहीं कहेंगे ये शाबाश,
लाख कलेजा चिरौ तुम,
इनके लिये नहीं कुछ खास,
काम करावे रातौ दिन,
देते नहीं कभी अवकाश,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।
कभी है मिर्ची कभी मिठास,
मूड का नहीं करौ विसबास,
मुँह खोला तो होगा नाश,
चुपै सुनौ सभी बकवास,
भूल से कहीं किया जो लॉस,
इनके दिल मे रहेगी फांस,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।
दोनों में ये बात है खास,
टारगेट है इनकी सास,
गुस्सा भूख है इनके मन की,
और झूठी तारीफें प्यास,
प्रान बचाना चाहो काश,
बांध गठरिया चलौ कैलाश,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।।
--कृपाल