Wednesday, 10 November 2021

तुम्हारी आंखे

 नज़र हटाना भी इनसे मुश्किल है इतनी प्यारी तुम्हारी आंखें

असर मिटाना भी जिसका मुश्किल है, अजब खुमारी तुम्हारी आंखें 


हर एक घायल हर एक बेबस हर ओर आहों का शोर है बस

हर एक जिसका हुआ है कैदी, वो जेल प्यारी तुम्हारी आंखें 


कुछ और काजल लगाकर इनको कुछ और कातिल बना दिया है

अचूक है इनका हर निशाना, गज़ब शिकारी तुम्हारी आंखें 


खुदा की कुदरत या एक शरारत, बनाया इनको नशे की आदत

जहां में सुंदर है और भी पर, सभी पे भारी तुम्हारी आंखें 


हर आंख महफिल में चोरी छुपकर, बस आंख इनसे मिला रही है,

हर आंख सपना यह देखती है, हो इनको प्यारी हमारी आंखें


--कृपाल😎

Sunday, 19 September 2021

बढ़ के शादी से कोई घातक बीमारी भी नहीं,

सूचना जनहित में जिसपे कोई जारी भी नहीं,


रोज उनका संग भी और रोज उनसे जंग भी,
दुश्मनी कोई नहीं और कोई यारी भी नहीं,

पहले तो अपने ही करवाते हैं सबसे जुर्म ये,
बाद मे लेता कोई कुछ जिम्मेदारी भी नहीं,

यूं तो बीवी से बचाव के कई है टोटके
पर असल मे बात कोई लाभकारी भी नहीं

जान अपनी, जान अपनी पर लुटा सकते हैं हम,
और हमारी जान को यह जानकारी भी नहीं।

Monday, 2 August 2021

 जिन बातों पर लड़ते थे हम,

उन बातों पर हंसते हैं हम,

जाने कब सीखेंगे हम ये,

किन बातों पे लड़ते हैं हम। 


--कृपाल😎

Wednesday, 21 April 2021

चाहते है रात और दिन तुझको मगर, मिलने तुझसे फिर न आ पाएंगे हम,

जिस कदर पीटा है तेरे बाप ने,  मार इतनी फिर न खा पाएंगे हम


Monday, 5 April 2021

 कुछ तुम भी खुशनसीब थे कुछ हम भी खुशनसीब

तुम और के करीब थे हम और के करीब 


पछता रहे हैं तुम को गले से लगा के हम

मौसम बहुत अजीब है तेरे बहुत करीब 


हैं आजकल चुनाव की तैयारियों में ये,

वरना बहुत अमीर हैं ये आम से गरीब 


हालात उनके देखकर दिल को सुकू मिला

इतरा रहे थे जो कभी बनकर मेरे रकीब 


दौलत अलग-अलग कमाते हैं सब यहां

कोई कहीं गरीब है कोई कहीं गरीब


--kripal

Kal


 कल कुछ करने की चाहत में कल तक कुछ ना कर पाएगा,

कल से कल की दौड़ में फंसकर आज बेचारा मर जाएगा


आगे आगे दौड़ के सबसे पहले मंजिल पा लेगा पर,

आगे आगे दौड़ के मंजिल पार अकेला डर जाएगा

चार लोग की बातें केवल चार लोग ही समझेंगे,

चार लोग की बातें कोई दिल से भी क्या कर पाएगा

पाप पुण्य की जोड़ तोड़ में पाप पुण्य ही भूल गए,

पाप पुण्य की जोड़-तोड़ में पाप पुण्य का भर जाएगा,

--कृपाल

 

किसी की जागती किसी की सो रही होगी

किस्मतें सबकी खुराफात बो रही होगी

अपनी किस्मत पे न इतरा ऐ जिन्दा बकरे

छुरी तेरी भी कहीं तेज हो रही होगी।

-- कृपाल😎

Monday, 29 March 2021

जिदंगी

रोज थोड़ी खर्च कर थोड़ी बचा लेते है सब,

जिंदगी एक और दिन ऐसे चला लेते है सब..


एकदिन लूट जाएगी सारी बचत एक साथ में,

फिर भी जाने क्यों बचाने में गँवा देते है सब...


--कृपाल

क्यों ना अब मर जाऊँ मैं

सोच रहा हूँ चलते चलते दूर सफर पर जाऊँ मैं,

जीने में कुछ जान नहीं तो क्यों ना अब मर जाऊँ मैं,


दोस्त दुश्मनों संबंधों में फर्क नहीं कुछ लगता है,

जी करता है सबसे झूठी तारीफें करवाऊँ मैं,


दौलत शोहरत चाहत इज्जत बहुत कमाई कर ली है,

लुट जाने से पहले क्यों ना हाथों से लुटवाऊँ मैं,

 

यूं तो सुनता रहा सुनाता गीत ग़ज़ल हर महफिल मे,

एक शाम अब याद में अपनी दुनिया को सुनवाऊँ मैं,


--कृपाल

चुनावी मेंढक

 टर्र टर्र के शोर से मेरा दुखी हो गया गांव

मेंढक सारे खेल रहे हैं आपस में चुनाव

बोलो सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा 


फुदक फुदक कर मांग रहे हैं हमसे हमारा वोट

जात पात की दीन धर्म की करते हम पर चोट

बोलो सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा 


यह कर देंगे वह कर देंगे रोज खूब टर्रायें

लाल मुंगेरी वाले सपने हमको खूब दिखायें

बोलो सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा 


सर्दी गर्मी धूप छांव यह मिट्टी में छुप जाएं

जैसे पड़े फुहार चुनावी कूद के बाहर आए

बोलो सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा 


--कृपाल😎