Thursday, 20 October 2022

गर्ल फ्रैंड

चादर को अपनी देखकर ही पांव फैलाओ,

लालच बुरी बला है ये दिमाग मे लाओ,

जो आपके बजट मे बराबर से फिक्स हो,

कम मैन्टिनैंश वाली गर्ल फ्रैंड बनाओ।


--कृपाल

तमन्ना

 हाँ मैं यह मानता हूँ तुझसे शादी की तमन्ना थी,

ना पालो भ्रम कि तेरा हुस्न पाने की तमन्ना थी,

वो इतना प्यार देती थी मैं जब भी घर तेरे आया,

तेरी अम्मा को केवल सास कहने की तमन्ना थी।


--कृपाल

खूबसूरत

प्यार का चेहरा कभी वो, है कभी गुस्से की सूरत

मोम सी कोमल भी है और, है कभी पत्थर की मूरत

देव भी अनभिज्ञ हैं, उसकी दशाएं और कला से

खूबसूरत भी बला की, और बला भी खूबसूरत ।


--कृपाल😎

कुछ तेरा कुछ मेरा ऊपर बाकी है

महल किसी के सड़क किसी के हिस्से हैं,

किसी की नींदें किसी की चादर बाकी है,

कौन यहां पर सब कुछ लेकर आया है,

कुछ तेरा कुछ मेरा ऊपर बाकी है।


--कृपाल

पूछ खुद से यही रहा हूं मै

 पूछ खुद से यही रहा हूं मै,

जिंदगी किसकी जी रहा हूं मै,

प्यास कुछ और थी मुझे कल तक,

आज कुछ और पी रहा हूं मै ।


😎कृपाल

हर एक जिंदगी में छाले हैं

 हर एक जिंदगी में छाले हैं,

कुछ खुदाई, कुछ खुद के पाले हैं,

हंस के देखो तो है दिवाली भी, 

रोना चाहो तो बस दिवाले हैं। 


--कृपाल 😎

मैं सभी उसके इशारे जानता हूँ ,

 मैं सभी उसके इशारे जानता हूँ ,

हर अदा उसकी बहुत पहचानता हूँ ,

यूं तो कह देती है अक्सर खुलके मुझसे,

बिन कहे भी पांव उसके दाबता हूँ। 


-कृपाल 😁

अपने अपने रोने है

 बीघे भर का पलंग है लेकिन चादर औने पौने हैं

अलग-अलग पर यहां सभी के अपने-अपने रोने हैं

माना मेरी वाली तेरी वाली से कुछ सुंदर है

सच केवल मालूम उसे है नखरे जिसको धोने हैं 


--कृपाल😎

Friday, 22 July 2022

ये दुनियाँ पागल खाना है

 दौड़ रहें हैं सुबह शाम पर,

कहीं नहीं आना जाना है,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।
अपने अपने नाम के पागल,
कुछ अल्लाह के राम के पागल,
थोड़े पागल काम काज में,
ज्यादातर हैं दाम के पागल,
नाम काम का दाम का चक्कर,
काट काटकर थक जाना हैं,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।
कोई दिल को हार के पागल,
कोई दिल को मार के पागल,
कोई उसकी नफरत मे खुश,
कोई उसके प्यार मे पागल,
प्यार का नफरत हार जीत का,
सबका अपना एक गाना हैं।
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।
कोई सत्ता लोभ मे पागल,
कोई सत्ता क्षोभ मे पागल,
हर दल नेता और सरकारें,
राजनीति के रोग मे पागल,
कुर्सी चाह मे जीना इनका,
कुर्सी राह मे मर जाना हैं,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।
काम क्रोध मे लोभ मे पागल,
मद मे माया मोह मे पागल,
सबकुछ कोई खोकर भी खुश,
सबकुछ कोई जीत के पागल,
जिस मुठ्ठी मे बांध रहे सब,
उनको खाली रह जाना हैं,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।

Thursday, 7 July 2022

हम उनको काम नहीं देंगे

जो कहते हैं सर तन से जुदा
वो आज से मेरे धन से जुदा
जो राम को मान नहीं देंगे
हम उनको काम नहीं देंगे

--कृपाल🙏

Friday, 8 April 2022

मतदान जरूरी है


सहयोग जरूरी है संग्राम जरूरी है

जनता का सत्ता से संवाद जरूरी है

अपने अधिकारों के हो बोध सभी को पर

अपने दायित्वों की पहचान जरूरी है 

है मात्र इकाई पर अरबों की शक्ति है

सब के हित में सबका मतदान जरूरी है