महल किसी के सड़क किसी के हिस्से हैं,
किसी की नींदें किसी की चादर बाकी है,
कौन यहां पर सब कुछ लेकर आया है,
कुछ तेरा कुछ मेरा ऊपर बाकी है।
--कृपाल
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