चादर को अपनी देखकर ही पांव फैलाओ,
लालच बुरी बला है ये दिमाग मे लाओ,
जो आपके बजट मे बराबर से फिक्स हो,
कम मैन्टिनैंश वाली गर्ल फ्रैंड बनाओ।
--कृपाल
चादर को अपनी देखकर ही पांव फैलाओ,
लालच बुरी बला है ये दिमाग मे लाओ,
जो आपके बजट मे बराबर से फिक्स हो,
कम मैन्टिनैंश वाली गर्ल फ्रैंड बनाओ।
--कृपाल
हाँ मैं यह मानता हूँ तुझसे शादी की तमन्ना थी,
ना पालो भ्रम कि तेरा हुस्न पाने की तमन्ना थी,
वो इतना प्यार देती थी मैं जब भी घर तेरे आया,
तेरी अम्मा को केवल सास कहने की तमन्ना थी।
--कृपाल
प्यार का चेहरा कभी वो, है कभी गुस्से की सूरत
मोम सी कोमल भी है और, है कभी पत्थर की मूरत
देव भी अनभिज्ञ हैं, उसकी दशाएं और कला से
खूबसूरत भी बला की, और बला भी खूबसूरत ।
--कृपाल😎
महल किसी के सड़क किसी के हिस्से हैं,
किसी की नींदें किसी की चादर बाकी है,
कौन यहां पर सब कुछ लेकर आया है,
कुछ तेरा कुछ मेरा ऊपर बाकी है।
--कृपाल
पूछ खुद से यही रहा हूं मै,
जिंदगी किसकी जी रहा हूं मै,
प्यास कुछ और थी मुझे कल तक,
आज कुछ और पी रहा हूं मै ।
😎कृपाल
हर एक जिंदगी में छाले हैं,
कुछ खुदाई, कुछ खुद के पाले हैं,
हंस के देखो तो है दिवाली भी,
रोना चाहो तो बस दिवाले हैं।
--कृपाल 😎
मैं सभी उसके इशारे जानता हूँ ,
हर अदा उसकी बहुत पहचानता हूँ ,
यूं तो कह देती है अक्सर खुलके मुझसे,
बिन कहे भी पांव उसके दाबता हूँ।
-कृपाल 😁
बीघे भर का पलंग है लेकिन चादर औने पौने हैं
अलग-अलग पर यहां सभी के अपने-अपने रोने हैं
माना मेरी वाली तेरी वाली से कुछ सुंदर है
सच केवल मालूम उसे है नखरे जिसको धोने हैं
--कृपाल😎