बोझ लाद के काम पे जाता,
चुस्त मुझे हरदिन दिखता है,
आफिस के रस्ते मे मुझको,
एक गधा हरदिन दिखता है,
न जाने क्यों मुझे देखकर,
एक आंख झपका देता है,
लगता जैसे मुझे देखकर,
मन ही मन मुसका देता है
आंखों ही आंखों मे मुझसे,
शुभदिन वो हरदिन कहता है।।
आफिस के रस्ते मे मुझको,
एक गधा हरदिन दिखता है..
लाठी खाता बोझ उठाता,
हरदम बस हांका जाता है,
ज्यादा लाठी ज्यादा बोझा,
चारा लेकिन कम पाता है,
मुझसी ही है हालत उसकी,
मुझसा ही हरदिन सहता हैं।।
आफिस के रस्ते मे मुझको,
एक गधा हरदिन दिखता है..
चुस्त मुझे हरदिन दिखता है,
आफिस के रस्ते मे मुझको,
एक गधा हरदिन दिखता है,
न जाने क्यों मुझे देखकर,
एक आंख झपका देता है,
लगता जैसे मुझे देखकर,
मन ही मन मुसका देता है
आंखों ही आंखों मे मुझसे,
शुभदिन वो हरदिन कहता है।।
आफिस के रस्ते मे मुझको,
एक गधा हरदिन दिखता है..
लाठी खाता बोझ उठाता,
हरदम बस हांका जाता है,
ज्यादा लाठी ज्यादा बोझा,
चारा लेकिन कम पाता है,
मुझसी ही है हालत उसकी,
मुझसा ही हरदिन सहता हैं।।
आफिस के रस्ते मे मुझको,
एक गधा हरदिन दिखता है..