Friday 22 July 2022

ये दुनियाँ पागल खाना है

 दौड़ रहें हैं सुबह शाम पर,

कहीं नहीं आना जाना है,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।
अपने अपने नाम के पागल,
कुछ अल्लाह के राम के पागल,
थोड़े पागल काम काज में,
ज्यादातर हैं दाम के पागल,
नाम काम का दाम का चक्कर,
काट काटकर थक जाना हैं,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।
कोई दिल को हार के पागल,
कोई दिल को मार के पागल,
कोई उसकी नफरत मे खुश,
कोई उसके प्यार मे पागल,
प्यार का नफरत हार जीत का,
सबका अपना एक गाना हैं।
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।
कोई सत्ता लोभ मे पागल,
कोई सत्ता क्षोभ मे पागल,
हर दल नेता और सरकारें,
राजनीति के रोग मे पागल,
कुर्सी चाह मे जीना इनका,
कुर्सी राह मे मर जाना हैं,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।
काम क्रोध मे लोभ मे पागल,
मद मे माया मोह मे पागल,
सबकुछ कोई खोकर भी खुश,
सबकुछ कोई जीत के पागल,
जिस मुठ्ठी मे बांध रहे सब,
उनको खाली रह जाना हैं,
कैसा बिन दीवारों वाला,
ये दुनियाँ पागल खाना है।।

Thursday 7 July 2022

हम उनको काम नहीं देंगे

जो कहते हैं सर तन से जुदा
वो आज से मेरे धन से जुदा
जो राम को मान नहीं देंगे
हम उनको काम नहीं देंगे

--कृपाल🙏