इन आंखों के सब कायल हैं,
इन आंखों से सब घायल हैं,
और भी कर देता है पागल,
इन आंखों पे जब काजल है।।
--कृपाल😎
खून की इसके सजा, होती नहीं है, इसलिए,
अपने ही होते हैं खूनी, आपके विश्वास के ।
प्यार को अब दोस्ती से दूर रखते हैं सभी,
दोनों ही छलते कभी हैं, आपके विश्वास के ।
रूप की उसके कहां से, लेकर उपमा आऊं मैं,
उससा कुछ देखा नहीं तो, क्या उसे बतलाऊं मैं,
वो है शायद इस जमीं पर स्वर्ग की एक अप्सरा, स्वर्गवासी उसकी खातिर शौक से हो जाऊं मैं।।