रूप की उसके कहां से, लेकर उपमा आऊं मैं,
उससा कुछ देखा नहीं तो, क्या उसे बतलाऊं मैं,
वो है शायद इस जमीं पर स्वर्ग की एक अप्सरा, स्वर्गवासी उसकी खातिर शौक से हो जाऊं मैं।।
उससा कुछ देखा नहीं तो, क्या उसे बतलाऊं मैं,
वो है शायद इस जमीं पर स्वर्ग की एक अप्सरा, स्वर्गवासी उसकी खातिर शौक से हो जाऊं मैं।।
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