चाहते है रात और दिन तुझको मगर, मिलने तुझसे फिर न आ पाएंगे हम,
जिस कदर पीटा है तेरे बाप ने, मार इतनी फिर न खा पाएंगे हम
कुछ तुम भी खुशनसीब थे कुछ हम भी खुशनसीब
तुम और के करीब थे हम और के करीब
पछता रहे हैं तुम को गले से लगा के हम
मौसम बहुत अजीब है तेरे बहुत करीब
हैं आजकल चुनाव की तैयारियों में ये,
वरना बहुत अमीर हैं ये आम से गरीब
हालात उनके देखकर दिल को सुकू मिला
इतरा रहे थे जो कभी बनकर मेरे रकीब
दौलत अलग-अलग कमाते हैं सब यहां
कोई कहीं गरीब है कोई कहीं गरीब
--kripal
कल कुछ करने की चाहत में कल तक कुछ ना कर पाएगा,
कल से कल की दौड़ में फंसकर आज बेचारा मर जाएगा