Wednesday 21 April 2021

चाहते है रात और दिन तुझको मगर, मिलने तुझसे फिर न आ पाएंगे हम,

जिस कदर पीटा है तेरे बाप ने,  मार इतनी फिर न खा पाएंगे हम


Monday 5 April 2021

 कुछ तुम भी खुशनसीब थे कुछ हम भी खुशनसीब

तुम और के करीब थे हम और के करीब 


पछता रहे हैं तुम को गले से लगा के हम

मौसम बहुत अजीब है तेरे बहुत करीब 


हैं आजकल चुनाव की तैयारियों में ये,

वरना बहुत अमीर हैं ये आम से गरीब 


हालात उनके देखकर दिल को सुकू मिला

इतरा रहे थे जो कभी बनकर मेरे रकीब 


दौलत अलग-अलग कमाते हैं सब यहां

कोई कहीं गरीब है कोई कहीं गरीब


--kripal

Kal


 कल कुछ करने की चाहत में कल तक कुछ ना कर पाएगा,

कल से कल की दौड़ में फंसकर आज बेचारा मर जाएगा


आगे आगे दौड़ के सबसे पहले मंजिल पा लेगा पर,

आगे आगे दौड़ के मंजिल पार अकेला डर जाएगा

चार लोग की बातें केवल चार लोग ही समझेंगे,

चार लोग की बातें कोई दिल से भी क्या कर पाएगा

पाप पुण्य की जोड़ तोड़ में पाप पुण्य ही भूल गए,

पाप पुण्य की जोड़-तोड़ में पाप पुण्य का भर जाएगा,

--कृपाल

 

किसी की जागती किसी की सो रही होगी

किस्मतें सबकी खुराफात बो रही होगी

अपनी किस्मत पे न इतरा ऐ जिन्दा बकरे

छुरी तेरी भी कहीं तेज हो रही होगी।

-- कृपाल😎