Sunday 25 August 2019

बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस,
हमें चबाकर चट कर जाये,
जैसे बकरी खायें घास,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।

चाहे जितना करौ प्रयास,
नहीं कहेंगे ये शाबाश,
लाख कलेजा चिरौ तुम,
इनके लिये नहीं कुछ खास,
काम करावे रातौ दिन,
देते नहीं कभी अवकाश,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।

कभी है मिर्ची कभी मिठास,
मूड का नहीं करौ विसबास,
मुँह खोला तो होगा नाश,
चुपै सुनौ सभी बकवास,
भूल से कहीं किया जो लॉस,
इनके दिल मे रहेगी फांस,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।

दोनों में ये बात है खास,
टारगेट है इनकी सास,
गुस्सा भूख है इनके मन की,
और झूठी तारीफें प्यास,
प्रान बचाना चाहो काश,
बांध गठरिया चलौ कैलाश,
बा से बीवी, बा से बॉस,
इनसे कोई ना रखौ आस।।

--कृपाल

Saturday 10 August 2019

हर बहादुर बेवकूफी करके यूं हारा गया,
खेल के धोखे में आके ज़ंग में मारा गया,
खा गया शादी का लड्डू जो नशे में जोश में,
उम्र फिर सारी बेचारा दस्त से मारा गया ।।

--कृपाल😎

Monday 5 August 2019

इन्हें तुम प्यार की बैसाखियों से, दूर कुछ रखो,
जो बचपन में नहीं गिरतें, उन्हें उठना नहीं आता,
इन्हें कुछ खेलने दो खेल के कुछ, हारने भी दो,
जो बचपन जीतता है सब, उसे लड़ना नहीं आता ।।


हर परत दिल की खोलना क्यों है,
लोग तो बस कहेंगे, और कहो
कुछ हंसेंगे और कुछ सुनेंगे पर,
कोई समझेगा नहीं, और कहो

Thursday 1 August 2019

गीत के बंध दो, एक मैं एक वो,
प्रीत के छंद दो, एक मैं एक वो,
रंग दो जैसे एक, दूसरे मे घुले,
उसमें मैं एक हूँ, मुझमें है एक वो,

जीत मे हार मे, मेरी शामिल है वो,
मेरे हर जोड़ मे, मेरा हासिल है वो,
खुदकुशी खुद खुशी से कराई मुझे,
प्यार से जान ली, ऐसी कातिल है वो,

रात का ख्वाब वो, दिन की मुस्कान वो,
उसकी ख्वाहिश हूँ मै, मेरा अरमान वो,
साथ दो हमसफर अजनबी से कभी,
उसका चूना हूँ मैं, मेरा है पान वो

उसकी आफत हूँ मै, मेरी आफत है वो,
मुश्किलों मे मगर खूब राहत है वो,
लड़ते लड़ते भी दोनो को मालूम है,
उसकी आदत हूॅ मै, मेरी आदत है वो।
--कृपाल😎

मैं हूँ
तुम हो
हम हैं
सब है।।
ना तुम
ना मैं
फिर हम
कब हैं।।
दो मन
दो तन
एक जां
जब है।।
एक मै
एक तुम,
ग्यारह
तब हैं।।
ये है,
वो है,
सबकुछ
छल है।।
कल हो,
ना हो,
जीवन,
पल है।।