इन्हें तुम प्यार की बैसाखियों से, दूर कुछ रखो,
जो बचपन में नहीं गिरतें, उन्हें उठना नहीं आता,
इन्हें कुछ खेलने दो खेल के कुछ, हारने भी दो,
जो बचपन जीतता है सब, उसे लड़ना नहीं आता ।।
हर परत दिल की खोलना क्यों है,
लोग तो बस कहेंगे, और कहो
कुछ हंसेंगे और कुछ सुनेंगे पर,
कोई समझेगा नहीं, और कहो
जो बचपन में नहीं गिरतें, उन्हें उठना नहीं आता,
इन्हें कुछ खेलने दो खेल के कुछ, हारने भी दो,
जो बचपन जीतता है सब, उसे लड़ना नहीं आता ।।
हर परत दिल की खोलना क्यों है,
लोग तो बस कहेंगे, और कहो
कुछ हंसेंगे और कुछ सुनेंगे पर,
कोई समझेगा नहीं, और कहो
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