गीत के बंध दो, एक मैं एक वो,
प्रीत के छंद दो, एक मैं एक वो,
रंग दो जैसे एक, दूसरे मे घुले,
उसमें मैं एक हूँ, मुझमें है एक वो,
जीत मे हार मे, मेरी शामिल है वो,
मेरे हर जोड़ मे, मेरा हासिल है वो,
खुदकुशी खुद खुशी से कराई मुझे,
प्यार से जान ली, ऐसी कातिल है वो,
रात का ख्वाब वो, दिन की मुस्कान वो,
उसकी ख्वाहिश हूँ मै, मेरा अरमान वो,
साथ दो हमसफर अजनबी से कभी,
उसका चूना हूँ मैं, मेरा है पान वो
प्रीत के छंद दो, एक मैं एक वो,
रंग दो जैसे एक, दूसरे मे घुले,
उसमें मैं एक हूँ, मुझमें है एक वो,
जीत मे हार मे, मेरी शामिल है वो,
मेरे हर जोड़ मे, मेरा हासिल है वो,
खुदकुशी खुद खुशी से कराई मुझे,
प्यार से जान ली, ऐसी कातिल है वो,
रात का ख्वाब वो, दिन की मुस्कान वो,
उसकी ख्वाहिश हूँ मै, मेरा अरमान वो,
साथ दो हमसफर अजनबी से कभी,
उसका चूना हूँ मैं, मेरा है पान वो
उसकी आफत हूँ मै, मेरी आफत है वो,
मुश्किलों मे मगर खूब राहत है वो,
लड़ते लड़ते भी दोनो को मालूम है,
उसकी आदत हूॅ मै, मेरी आदत है वो।
--कृपाल😎
मुश्किलों मे मगर खूब राहत है वो,
लड़ते लड़ते भी दोनो को मालूम है,
उसकी आदत हूॅ मै, मेरी आदत है वो।
--कृपाल😎
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