Monday 29 March 2021

जिदंगी

रोज थोड़ी खर्च कर थोड़ी बचा लेते है सब,

जिंदगी एक और दिन ऐसे चला लेते है सब..


एकदिन लूट जाएगी सारी बचत एक साथ में,

फिर भी जाने क्यों बचाने में गँवा देते है सब...


--कृपाल

क्यों ना अब मर जाऊँ मैं

सोच रहा हूँ चलते चलते दूर सफर पर जाऊँ मैं,

जीने में कुछ जान नहीं तो क्यों ना अब मर जाऊँ मैं,


दोस्त दुश्मनों संबंधों में फर्क नहीं कुछ लगता है,

जी करता है सबसे झूठी तारीफें करवाऊँ मैं,


दौलत शोहरत चाहत इज्जत बहुत कमाई कर ली है,

लुट जाने से पहले क्यों ना हाथों से लुटवाऊँ मैं,

 

यूं तो सुनता रहा सुनाता गीत ग़ज़ल हर महफिल मे,

एक शाम अब याद में अपनी दुनिया को सुनवाऊँ मैं,


--कृपाल

चुनावी मेंढक

 टर्र टर्र के शोर से मेरा दुखी हो गया गांव

मेंढक सारे खेल रहे हैं आपस में चुनाव

बोलो सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा 


फुदक फुदक कर मांग रहे हैं हमसे हमारा वोट

जात पात की दीन धर्म की करते हम पर चोट

बोलो सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा 


यह कर देंगे वह कर देंगे रोज खूब टर्रायें

लाल मुंगेरी वाले सपने हमको खूब दिखायें

बोलो सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा 


सर्दी गर्मी धूप छांव यह मिट्टी में छुप जाएं

जैसे पड़े फुहार चुनावी कूद के बाहर आए

बोलो सा रा रा रा जोगीरा सा रा रा रा 


--कृपाल😎