Friday 4 September 2020

 दिल की बातें अब जुबा आंखें नहीं करती,

निभ रहे हैं दिल के रिश्ते उंगलियों से सब।।


प्यार का भी मोल थोड़ा कम हुआ तो है,

सेल में हर ओर बिकते उंगलियों से सब।।


बचपना मैदान मैं मुश्किल से दिखता है,

अब खिलाड़ी रोज बनते उंगलियों से सब।।


वो सड़क पर मर गया, थी चोट मामूली,

जिसको सहारा दे रहे थे उंगलियों से सब।।


पैर छूने का कोई सिंबल नहीं वरना,

मां बाप के भी पैर छूते उंगलियों से सब।।


--कृपाल

Monday 20 April 2020

घर पर बैठे ऊंघ रहे हैं बाकी सब कुछ बढ़िया है
खाली बोतल सूंघ रहे हैं बाकी सब कुछ बढ़िया है
बीड़ी सिगरेट के भी सारे टुकड़े फूंक चुके हैं पर
टुकड़े फिर से ढूंढ रहे हैं बाकी सब कुछ बढ़िया है।।

Friday 17 April 2020

जान अपनी.. जान अपनी पर लुटा सकते है हम,
और हमारी जान को ये जानकारी भी नहीं।

Wednesday 11 March 2020


यूं समझिए दोस्ती एक तोड़ देंगे,
जब धुंए से बात करना छोड़ देंगे।।
मशवरा खुद का भी रखो फैसले में,
लोग कहकर बात का रुख मोड़ देंगे,
मंजिलों की दौड़ में मसरूफ हैं जो,
लुत्फ रस्ते का मुसाफिर छोड़ देंगे,
हमसफ़र कोई नहीं रहता हमेशा,
रास्ते कदमों को एकदिन मोड़ देंगे,
दो कदम दोनों बढायें साथ में तो,
दो कदम एकदिन किनारे जोड़ देंगे,
--कृपाल 😎

तबियत का हाल अपनी जिस दिन वयां करेंगे,
कुछ जूतियां पड़ेगी कुछ वाह वाह करेंगे,

हो मैंकदे का हाकिम और प्यास का हो मारा,
कैसे सभी भरोसा इस बात का करेंगे,

--कृपाल 😎

Friday 6 March 2020

उसके गोरे गाल पे खूब लगाके रंग,
रहे नशे मे झूमते जैसे पीके भंग,
जोगीरा सारा रारा, सारा रारा सारा रारा

गुब्बारों में डाल कर कर छेड़छाड़ के रंग,
खूब भिगाया प्यार से गोरी का हर अंग,
जोगीरा सारा रारा, सारा रारा सारा रारा,

रंग बरसे के गीत नाच रहे सब संग,
चूनर वाली भीग के सबको करती तंग,
जोगीरा सारा रारा, सारा रारा सारा रारा

पापड़ गुझिया साथ में ठंडाई और भंग
घर घर टोली घूमके मचा रही हुडदंग,
जोगीरा सारा रारा, सारा रारा सारा रारा

-- कृपाल

Thursday 5 March 2020

कोरोना से घातक है ज़हरीली है,
ज़ान कई मासूमों की भी ले ली है,
आग के जैसे करती है बर्बादी ये,
झूठी हर अफवाह कहीं जब फैली है।।

--कृपाल😎

Tuesday 3 March 2020

कुछ भंग चढ़ी कुछ रंग चढ़ा,
होली का यूं हुड़दंग बढ़ा,
गालों से गाल रगड़ उनके,
गालों पे प्रीत का रंग मढ़ा।

वो दंग हुईं फिर ज़ंग हुई,
सखियों की टोली संग हुई,
मधुमक्खी के हमले जैसी,
हालत मेरी बदरंग हुई।

पर याद रही वो साथ रही,
हर होली उसकी बात रही,
फिर वही पड़ोसन बचपन हो,
दिल में ऐसी एक आस रही।

फिर भंग चढ़े फिर रंग चढ़े,
होली का बस हुड़दंग बढ़े,
भाई-भाई की नफ़रत पर,
कुछ प्रेम शांति का रंग चढ़े।

भाई-भाई की नफ़रत पर,
कुछ प्रेम शांति का रंग चढ़े।

--कृपाल 😎

Monday 10 February 2020

नाम चेहरे कुछ पुराने, याद आते हैं बहुत,
आजभी किस्से पुराने, फिर हँसाते हैं बहुत,
बढते-बढते हम जो अब एक दूसरे से दूर हैं,
प्लान मिलने का हमेशा, हम बनाते हैंं बहुत।।

चाय सिगरेट इश्क फिल्में, की पढाई भी बहुत,
मार खाई साथ भी और, की पिटाई भी बहुत,
कोचिंगों के उन दिनों मे, साथ चलकर साथ मे,
साईकिलों पे जिंदगी, हमनें चलाई भी बहुत।।

#पुरानेदोस्त
-- कृपाल