रात भर भीगता
रहा, तेरी यादों
की बारिश मे,
झरोखा उन दिनों
का कल, खुला
गलती से रह गया ।
बताया दिल को
सौ सौ बार, नहीं बच्चा
रहा अब तू,
मगर बच्चा करें
क्या जो, बडा गलती से
हो गया ।
वो गलियाँ छोड
आया हूँ, भरम
कई बार ये टूटा,
कहीं यादों का
टुकड़ा जो, बचा गलती से
रह गया ।
जला लेतें हैं
अपने को, दबी सी आग
के धोखे,
बुझी राखो मे
शोला जो, छिपा
गलती से रह गया ।
तेरी बातें कहेंगे
न सुनेंगे, ठान
बैठे थे,
नहीं रोका गया
वो जिक्र, जो
गलती से हो गया ।।
हर एक तस्वीर
को तेरी, मिटा
पूरी तरह डाला,
मगर चेहरा तेरा
दिल पे, छपा गलती से
रह गया ।।
छपा दिल पे तेरे चेहरे का तिल, गलती से रह गया।।(FB)
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