Friday 5 October 2018

स्वच्छ और स्वस्थ दुनिया का स्वयं नक्शा बदल डाला..


स्वच्छ और स्वस्थ दुनिया का स्वयं नक्शा बदल डाला
हमारे लोभ आलस ने, प्रकृति का नाश कर डाला।

हर एक जीवन, वृक्ष भोजन, प्राण ऊर्जा का संवाहक
प्रमुखतम तत्व जीवन का, कृत्रिम अनुपलब्ध जो अब तक
सिमटते भू जलाशय की, चेतावनी जानकर भी क्यों
तरल जीवन इकाई को, सरलता से बहा डाला

हवन सामग्री, धूप दीपक, मूर्ति प्रसाद पुष्प माला
बचा पूजन मे जो, वो पूज्य नदियों मे चढ़ा डाला
बहा अवशिष्ट शहरों का, घरों का कारखानों का
अविरल साफ धारा को, कर दिया संकुचित नाला

हवा मे प्राणवायु का, निरन्तर गिर रहा स्तर
धुआं हैं धूल है अपने, सुबह का शाम का सहचर
बदल ईंधन को धुएं मे, हवा को कर दिया काला
कवर हर एक चेहरे पे, व्यक्ति रोगी बना डाला

खेत को भी, बगीचे को भी, हमने कर दिया दूषित
रासायन के प्रयोगो से, फसल को कर रहे विकसित
जहर भर के फलों मे, दूध सब्जी मे अनाजों मे
मनष्यो ने मनुष्यों को, बहुत बीमार कर डाला

प्रचंड मौसम हवा बारिश, प्रकृति चेतावनी जैसे
समय है शेष, परिवर्तित करें जीवन के हर हिस्से
नहीं की कद्र इसकी जो, मिला उपहार मे हमकों
हमारे वंशजों को बस मिलेगा, रोग विष ज्वाला

करें नदियों को गंदा, बहाये व्यर्थ मे जल
लगायें पेड़ पौधों को, बचायें ऊर्जा हर पल
जो हो उद्देश्य सबका ही, धरा को सींचने वाला
ये माँ ऐसे ही पालेगी, जिस तरह आज तक पाला

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