Sunday 7 October 2018

हमरे गांव के पप्पू भइया...


हमरे गांव के पप्पू भइया,
परधानी को खडे हो गये,
युवा है वो अडतालीस के पर,
लगता नहीं कि बडे हो गये।।
हमरे गांव के पप्पू भइया,
परधानी को खडे हो गये,

हैं युवराज इलाके के ये,
राज पुराना साल था सत्तर,
जबसे नया प्रधान ये आया,
कर दी इनकी छीछालेदर,
पंचायत के थे फूल गुलाबी,
आम ये सबसे सडे हो गये ।।
हमरे गांव के पप्पू भइया,
परधानी को खडे हो गये,

लिखा हुआ भाषण ये पढ़ते,
सुनकर जिसको सारे हँसते,
गाड़ी इनकी राजा बाबू,
कुर्ता लेकिन फटा पहनते,
स्वांग कला मे कुछ सालों से,
महारथी ये बडे हो गये ।।
हमरे गांव के पप्पू भइया,
परधानी को खडे हो गये,

खुद कुनबा इतिहास घोटाला,
पर प्रधान को चोर बताते,
जोड़ तोड़ के घुमा के बातें
जनता को झुठा भडकाते,
आया पास चुनाव तो भइया,
शिव के भक्त ये बडे हो गये ।।
हमरे गांव के पप्पू भइया,
परधानी को खडे हो गये,

बड़ी लडाई लडने को ये,
कमर कलेजा ठान चुके हैं,
अभी तलक की सारी जंगे,
बुरी तरह से हार चुके है,
फूट रहे है एक एक कर,
भरे हुए जो घड़े हो गए ।।
हमरे गांव के पप्पू भइया,
परधानी को खडे हो गये,


बना रहे है सबको साथी,
लालटेन और साइकिल हाथी,
ममता दीदी भी चिल्लायें,
आओ मिलकर साथ हरायें,
एक शेर से लडने को फिर,
सारे गीदड़ जुड़े हो गये ।।
हमरे गांव के पप्पू भइया,
परधानी को खडे हो गये

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