Friday 5 October 2018

उठ जाओ रोना बंद करो, रोने से क्या हासिल होगा...


कोई रूठ गया, कोई छूट गया
कुछ टूट गया, कोई लूट गया
रिसते घावों को गिनने,  अब क्या दिल होगा
उठ जाओ रोना बंद करो, रोने से क्या हासिल होगा।

कहीं हार हुयी, कई बार हुयीं
कुछ भूल हुयीं, प्रतिकूल हुयीं
गिर गिर फिर उठने से ही तो, तू चलने के काबिल होगा
उठ जाओ रोना बंद करो, रोने से क्या हासिल होगा।

कभी छति हुयीं, जो अति हुयीं
कुछ डूब गया, सम्पूर्ण गया
पतवार छोड़ के रखने से, क्या पास कभी साहिल होगा
उठ जाओ रोना बंद करो, रोने से क्या हासिल होगा।

जो चाहे है, तो राहें हैं
जो बाकी है, वो काफी हैं
सोया विश्वास जगाने से, तू फिर अपनी मंजिल होगा
उठ जाओ रोना बंद करो, रोने से क्या हासिल होगा।

No comments:

Post a Comment